एक कामुक 20 वर्षीय महिला एक होटल में चेक करती है, अपने कपड़े उतारती है और आत्म-आनंद में लिप्त होती है। उसकी उंगलियां उसके उभारों का पता लगाती हैं, उसके व्यक्तिगत स्मृति चिन्ह से भरे एक कमरे में चरमोत्कर्ष तक पहुंचती हैं। यह एकल सत्र उसकी अतृप्त इच्छाओं और अपरिपक्व आत्म-प्रेम का प्रमाण है।