दादाजी अपनी 18 वर्षीय प्रेमिका को रस्सियों की शिक्षा देते हैं, हर स्थिति में उसका मार्गदर्शन करते हैं। उनका अनुभव और उनकी उत्सुकता एक गर्म मुठभेड़ की ओर ले जाती है, जिससे उनके आपसी जुनून का प्रदर्शन होता है। यह आनंद का सबक है जो उन दोनों को बेदम कर देता है।