दादाजी की वासनापूर्ण आंखें एक किशोरी की मासूम नजरों से मिलती हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक गर्म मुठभेड़ होती है। वह उसे आनंद की कला सिखाता है, वह पारस्परिक रूप से प्रतिक्रिया करती है, और तनाव बढ़ता है। उनके शरीर एक भावुक लय में संलग्न होते हैं, जो एक शक्तिशाली चरमोत्कर्ष में परिणत होता है, जिससे वह और अधिक के लिए तड़पती है।